कोरोना काल की पुन: वापसी हो रही है। मध्यप्रदेश सरकार पिछले कई दिनों से दावे कर रही है कि कोरोना के प्रमुख संवाहक महाराष्ट्र के रहवासियों के प्रदेश में आने पर रोक रहेगी। उन्हें कोरोना निगेटिव का प्रमाण साथ में लेकर आना होगा।
मंगलवार को सरकार ने महाराष्ट्र की ओर से आने वाले लोगों को 11 दिन क्वारेंटाइन रहने के आदेश भी जारी किए हैं। लेकिन कोरोना से बचाव की यह गाइड लाइन सिर्फ कागजी खानापूर्ति है। सच्चाई तो यह है कि प्रदेश तो क्या उज्जैन में ही रोज महाराष्ट्र की कई गाडिय़ां बिना रोकटोक पहुंच रही है और वहां के रहवासी यहां खुलेआम मंदिरों में दर्शन कर रहे हैं और बाजार में घूम रहे हैं।
प्रमुख धार्मिक नगरी होने के कारण उज्जैन में रोज महाराष्ट्र के अलावा गुजरात, दक्षिण भारत, उत्तर भारत के श्रद्धालु अपने निजी वाहनों या बस-ट्रेनों से उज्जैन आते हैं। इन लोगों को यहां क्वारेंटाइन कौन करेगा, क्योंकि फिलहाल तो इन्हें चैक भी नहीं किया जा रहा है।
अगर सिर्फ महाकाल मंदिर के आंकड़ों पर ही नजर दौड़ाएं तो रोज आमदिनों में ही यहां करीब २५ हजार से ज्यादा श्रद्धालु शहर के बाहर के होते हैं। अगर वाकई कोरोना रोकना है तो बाहरियों पर भी पाबंदियां जरूरी हैं।