कोरोना संकट काल में अस्थाई कोविड स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल चल रही है। इस कारण काफी व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। शुक्र है अभी अस्पतालों में कोविड मरीजों की संख्या कम है, इस कारण प्रशासन को व्यवस्था बनाने में ज्यादा असुविधा नहीं हो रही है।
तीन दिनों से चल रही इस हड़ताल के पीछे कर्मचारियों की मांग है कि उनका वेतन स्थाई कर्मचारियों की तरह ही बढऩा चाहिए। वेतन का निर्धारण शासन स्तर पर तय हुआ है और नौैकरी पर नियुक्ति के वक्त ही यह तय हो चुका था। फिर भी प्रशासन ने कर्मचारियों की मांगों को शासन स्तर पर भेजकर वहां से निर्णय होने की बात कही है, क्योंकि स्थानीय स्तर पर इस मुद्दे पर कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता।
स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा पीपीई किट पहनकर भीख मांगना और शासन-प्रशासन को शर्मिंदा करने के कृत्य पर मंत्री जी भी नाराज हो गए और साफ कर दिया कि नौकरी करने के पहले ही उन्हेें बता दिया था कि वेतन कितना मिलेगा। किसी को जबरन नौकरी पर भी नहीं रखा गया है। मंत्री जी की बात और नाराजगी सही भी है।
अपनी मांगे शासन तक पहुंचाइये, लेकिन संकट काल में हड़ताल कर शासन-प्रशासन पर दबाव बनाना उचित नहीं है। यह सेवाकाल है, सेवा के मौके को मत गवाइये।