सिंहस्थ में पंचक्रोशी के लिए बनाए शौचालय में गड़बड़ी के सबूत नहीं, ईओडब्ल्यू में दर्ज केस हो सकता है खारिज

उज्जैन,अग्निपथ। सिंहस्थ 2016 में पंचक्रोशी यात्रा मार्ग पर बनाए अस्थाई शौचालय घोटाले में फंसे नगम अधिकारियों के लिए अच्छी खबर है। प्रकरण जल्द ही खत्म हो सकता है। वजह मामले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध अन्वेशन ब्यूरो) को निर्माण में धांधली के कोई ठोस सबूत नहीं मिले है। वहीं शासन को भी कोई आर्थिक नुकसान नही हुआ था।

जिला पंचायत पूर्व उपाध्यक्ष भरत पोरवाल ने 11 मई 2016 को सिंहस्थ में पंचक्रोशी यात्रा मार्ग पर अस्थाई शौचालय निर्माण में करोड़ों रुपए की धांधली का आरोप लगाया था। उन्होंने तात्कालीन जिला पंचायत सीईओ रूचिका चौहान के जांच रिपोर्ट के साथ घोटाले की शिकायत ईओडब्ल्यू में की थी। प्रकरण में नगर निगम के कार्यपालन यंत्री रामबाबू शर्मा, सहायक यंत्री(वर्तमान कार्यपालन यंत्री) पीयूष भार्गव व अन्य को आरोपी बताया था।

वर्ष 2019 में ईओडब्ल्यू में दर्ज केस की डीएसपी अजय कैथवास जांच कर रहे है। खास बता यह है कि सुक्ष्मता से जांच के बाद भी मामले में अब तक धांधली के पुख्ता सबूत नही मिले। वहीं शासन को भी आर्थिक हानि होना नहीं पाया। हालांकि अधिकारी प्रमाण इक्कठा करने का कह रहे,लेकिन स्वीकार भी कर रहे कि कोर्ट में पेश करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं होने से केस खत्म हो सकता है।

मामला एक नजर में

सिंहस्थ में पंचक्रोशी होने पर शासन ने यात्रा मार्ग स्थलों पर अस्थाई शौचालय निर्माण के लिए करीब 4 करोड़ रुपए मंजूर किए थे। 1700 शौचालय के लिए दो टेंडर जारी किए गए थे। नासिक के संजय रुहकर की प्रिसियर बिल्डर्स कंपनी व इंदौर के सिद्धार्थ जैन की ब्रीक एंड बांड कंपनी को आधे-आधे शौचालय बनाने का ठेका मंजूर हुआ था। घटिया निर्माण के आरोपों पर तात्कालीन कलेक्टर कविंद्र कियावत के आदेश पर जिपं सीईओ रूचिका चौहान ने तहसीलदारों से जांच करवाई थी। इसी गड़बड़ी की रिपोर्ट पर पोरवाल ने शिकायत की थी।

केस खात्मे की असल वजह

ईओडब्ल्यू के अनुसार शौचालय पंचक्रोशी यात्रा के बाद ही हटा दिए गए थे। नतीजतन अब घटिया व शर्तानुसार निर्माण नहीं होने के प्रमाण नहीं मिल सकते। वहीं 9 हजार 200 रुपए प्रति शौचालय का ठेका लिया था। ब्रीक एंड बांड को 1.32 करोड़ का भुगतान हो गया था। प्रिसियस का निविदा शर्तो का पालन नहीं करने और अधिकारियों के आदेश नहीं मानने पर 1.45 करोड़ का भुगतान आज तक नहीं हुआ है। ऐसे में शासन का क्षति नहीं होने से घोटाला सिद्ध नहीं होता है।

इनका कहना है..

तात्कालीन जिपं सीईओ के रिपोर्ट प्रतिवेदन पर केस दर्ज है। साक्ष्यों का एकत्रीकरण किया जा रहा है, लेकिन कोर्ट में पेश करने के लिए अब तक ठोस साक्ष्य नहीं मिले है। बावजूद प्रयास जारी है। -अजय कैथवास,डीएसपी ईओडब्ल्यू

अस्थाई शौचालय निर्माण घटिया होने पर सीईओ के प्रतिवेदन के साथ मय प्रमाण करोड़ों रुपए का घोटाला करने की शिकायत की थी। जांच चल रही है।
-भरत पोरवाल,पूर्व उपाध्यक्ष जिला पंचायत

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