थांदला सोसायटी के 1 करोड़ 50 लाख के फर्जीवाड़ा का आरोपी गिरफ्तार

सहकारी संस्थाओं की उच्च स्तरीय जांच में करोड़ों के घोटाले खुल सकेंगे

झाबुआ, अग्निपथ। स्थानीय सहकारी संस्था में कूटरचित दस्तावेजों से किसानों के नाम फर्जी ऋण दर्शाकर शासन की कर्जमाफी योजना में एक करोड़ 50 लाख का पलीता लगते हुए फर्जी कर्जमाफी दर्शाने वाले सहायक प्रबंधक पवन दीक्षित के विरुद्ध थांदला पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया।

शाखा प्रबंधक ने पुलिस को दिया था आवेदन
जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक थांदला शाखा के प्रबंधक पारसिंह मुणिया द्वारा 15 जुलाई को स्थानीय पुलिस को एक आवेदन दिया था। जिसमें पूर्व शाखा प्रबंधक, सह संस्था सहायक पवन दीक्षित द्वारा मप्र के ऋण माफी योजना में ऐसे अऋणी (अपात्र) कृषकों जिनके द्वारा ऋण नहीं लिया गया की सूची तैयार कर माफी योजना हेतु प्रस्ताव तैयार कर उसे स्वीकृत करवाने एवं स्वीकृत सूची के आधार पर योजना के अन्तर्गत मध्यप्रदेश सेवा संस्थान के ऋण खाते में राशि प्राप्त कर गबन करने संबंधी आवेदन में आरोप लगाकर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई की मांग की गई थी। बैंक प्रबंधक ने अपने आवेदन के साथ फर्जीवाड़ा करने के प्रमाणिक दस्तावेज भी पुलिस को उपलब्ध करवाए थे।

एसपी ने एसडीओपी को सौंपी जांच की जिम्मेदारी
करोड़ों के इस घोटाले की शिकायत को थांदला पुलिस द्वारा पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में लाने पर पुलिस अधीक्षक द्वारा एसडीओपी थांदला एमएस गवली को प्रकरण की विवेचना की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। एसडीओपी एमएस गवली द्वारा प्रकरण की गहराई से विवेचना की जाकर विवेचना में यह पाया गया कि पवन दीक्षित द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कूटरचित दस्तावेज तैयार कर शासन से राशि प्राप्त कर 1.50 करोड़ रुपये की राशि का पवन दीक्षित द्वारा गबन किया गया था।

विवेचना पर प्रकरण दर्ज
एसडीओपी एमएस गवली ने जांच रिपोर्ट जिला पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में लाकर उनके निर्देशन पर पूर्व शाखा प्रबंधक सह संस्था सहायक पवन पिता विपिन बिहारी दीक्षित के विरुद्ध अपराध क्रमांक 543/2021 धारा 419, 420, 409, 467, 468, 471 भादवि एवं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम1988 अधिनियम 1988 एवं संशोधन अधिनियम 2018 की धारा 13 के अन्तर्गत अपराध पंजीबद्ध किया।

गिरफ्तारी हेतु न्यायालय से प्राप्त की अनुमति

प्रकरण के आरोपी पवन पिता विपिन बिहारी दीक्षित को गिरफ्तार करने हेतु न्यायालय

झाबुआ से अनुमति प्राप्त की। पुलिस अधीक्षक के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में एसडीओपी मनोहरसिंह गवली के नेतृत्व में थाना प्रभारी थांदला कौशल्या चौहान, उप निरीक्षक मोहनसिंह सोंलकी, कार्यवाहक उनि लक्ष्मणसिंह सिसौदिया, आरक्षक राहुल जमरा, आरक्षक महेन्द्र नायक की टीम गठित कर आरोपी पवन पिता विपिन बिहारी दीक्षित को गिरफ्तार किया गया।

आये दिन होती थी शराब, कबाब की पार्टियां


पवन दीक्षित की गिरफ्तारी के बाद पुलिस पूछताछ में कई राज खुलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। केंद्रीय सहकारी बैंक की शाखा की ऊपरी मंजिल के ऑफिस में शराब व कबाब की पार्टियों के दौर आये दिन होते रहते थे। इन पार्टियों में शामिल होने वाले व घोटाले में पर्दे के पीछे और भी चेहरे सामने आ सकते हैं।

बांस ऊपर से नीचे तक पोला है
सहकारी सोसायटियों में फर्जीवाड़ों के इस तरह के घोटाले हमेशा सुर्खियों में रहे हैं। जब बांस ऊपर से नीचे तक पोला हो तो घोटाले दर घोटाले होंगे ही। पिछले पखवाड़े ही जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के प्रबंधक को लोकायुक्त की टीम ने सहकारी संस्था के प्रबंधक से तीन लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया था। विचारणीय प्रश्न है कि जब जिला प्रबंधक एक छोटी सी संस्था से 3 लाख की रिश्वत लेते हैं तो उस संस्था में कितना घोटाला किया जाता होगा। सरकार की ऋण माफी योजना में बड़े पैमाने पर घोटालों के मामले चर्चा में आकर दब गए। अगर सभी सोसायटियों के रिकार्डों की सूक्ष्मता से जांच हो तो कई करोड़ के घोटाले की परतें खुलने लगेंगी और अनेक सफेद पोश चेहरे काले नजर आयेंगे।

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