खुलासा …
अपने विकास पुरूष ने पिछले दिनों एक खुलासा किया। वह भी सार्वजनिक मंच से। लोकतंत्र सेनानी का मंच था। जहां पर अपने विकास पुरूष ने जो कुछ बोला। उस पर कमलप्रेमी भरोसा नहीं कर रहे है। खुलासा … विकास पुरूष ने यह किया कि … 18 महीने की जेल उनके पिताश्री ने भी काटी थी। मगर अपना नाम दर्ज नहीं कराया। इस उद्बोधन को सुनकर मौजूद सेनानी और कमलप्रेमी अचंभित थे। नतीजा सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कमलप्रेमी सवाल उठा रहे है। मगर, खुलकर कोई नहीं बोल रहा है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पहेली …
कमलप्रेमी इन दिनों एक पहेली की चर्चा कर रहे है। जिसमें इशारा अपने वजनदार जी की तरफ है। पहेली बिलकुल सीधी- सरल है। जिसका नाम पत्र लिखने वाली पहेली बोला जा रहा है। अपने वजनदार जी अकसर सामाजिक समस्यां को लेकर पत्र लिख देते है। संबंधित विभाग को। जिसमें यह लिखा होता है। दोषियों पर कार्रवाई हो। पत्र, मीडिया में सुर्खिया बन जाता है। उसके बाद उस पत्र पर क्या कार्रवाई हुई? रिजल्ट क्या निकला? यह पहेली कभी भी उजागर नहीं होती है। बस… मामला अंदर ही अंदर दब जाता है। इसीलिए कमलप्रेमी पहेली का नाम दे रहे है। कमलप्रेमियों की बात में बहुत ज्यादा दम है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
वादा …
वैसे तो अपने उम्मीद जी, अपना हर वादा पूरा करते है। जो कहा- वह करके दिखाते है। मगर इस बार वह अपना वादा पूरा करने के बदले पीछे कदम हटा सकते है। ऐसा हम नहीं, बल्कि कमलप्रेमी बोल रहे है। कारण …. गरीबी रेखा वाले राशन कार्ड है। जिसको लेकर उम्मीद जी ने वादा किया था। वादा यह था कि … उन अपात्रों पर कानूनी कार्रवाई होगी, जिन्होंने इस योजना का लाभ उठाकर, असली गरीबों का हक मारा है। अभियान पूरा हो गया है। अपात्र भी चयनित हो गये हैं। मगर, कानूनी कार्रवाई का डंडा कहीं नजर नहीं आ रहा है। नतीजा … उम्मीद जी के वादे की चर्चा सुनाई दे रही है। जिस पर हम तो कुछ कर नहीं सकते है। बस …. अपनी आदत के अनुसार चुप रह सकते हंै।
योजना …
अपने उम्मीद जी ने भस्मार्ती के दलालों को पकडऩे की योजना बनाई है। जिस पर अमल होना बाकी है। योजना बिलकुल सरल है। भस्मार्ती के बाद भक्तों को फोन जायेगा। मगर इस योजना में एक कमी है। जिसे पहले दूर करना होगा। तभी तो भक्तों के फोन नम्बर मिलेंगे। अंदरखाने की खबर है कि वर्दी- कमलप्रेमी और न्याय वाले एक साथ 50-100 की अनुमति बनवाते है।
जिसमें फोन नं. उसका रहता है। जिस कर्मचारी ने इसे बनवाया है। भक्तों के नंबर नहीं रहते है। अब जब भक्तों के नंबर ही नहीं होंगे,तो फोन किसको करेंगे। सवाल मंदिर के गलियारों में सुनाई दे रहा है। देखना यह है कि उम्मीद जी इस व्यवस्था को कैसे सुधारते है। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
चतुर …
अपने कप्तान चतुर है। बल्कि यह कहना ठीक होगा। वह महाचतुर है। थोड़ी शिष्ट और शालीन भाषा में कहें तो वह पीएचडी धारी है। यह सब हम नहीं, बल्कि वर्दीवाले ही कह रहे है। इशारा तबादलों से जुड़ा है। करीब 2 दर्जन से ज्यादा तबादले हुए है। इसी के चलते कप्तान को चतुर बोला जा रहा है।
कारण … तबादले से पहले सभी से उनकी पसंद के 3-3 स्टेशन बताने को कहा था। सभी ने यह सोचकर मनपसंद 3 स्टेशन लिख दिये। कहीं ना कहीं तो दाव लग जायेंगा। मगर अपने कप्तान ने मनपंसद 3-3 स्टेशनों के बदले चौथे नये स्टेशन पर बदली कर दी। तभी तो वर्दीवाले कप्तान को चतुर बोल रहे है। जिससे हमारा क्या लेना-देना। हमारा तो काम है, अपनी आदत के अनुसार चुप रहना।
आदेश …
अकसर यह बोला जाता है। अगर कोई प्रशासनिक आदेश निकलता है। तो वह सभी पर लागू होता है। खासकर, बाबा महाकाल के दरबार को लेकर। लेकिन ऐसा हो, यह जरूरी भी नहीं है। तभी तो 4 दिन पहले रातों-रात निकला एक आदेश, अचानक गायब हो गया है। यह आदेश नंदी-हॉल में बैठने की अनुमति से जुड़ा था।
देश के अतिविशिष्टजन अतिथि के लिए रात में चुपचाप आदेश निकाला गया। कोठी के इशारे पर। अतिविशिष्टजन भस्मार्ती में शामिल हुए। उसके बाद कुछ अन्य विशिष्टजनों को भी नंदीहॉल से दर्शन करने का लाभ मिल चुका है। मगर ताज्जुब की बात यह है कि आदेश निकलकर गायब हो गया है। मंदिर में इसकी चर्चा है। लेकिन सभी चुप है। तो हम भी अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।
पूजा …
ऐसा बहुत कम देखने या सुनने को मिलता है। जब कोई अतिविशिष्ट अतिथि अपनी जेब में हाथ डाले। अधिकतर अपनी जेब सिली हुई रखते है। मगर, 4 दिन पहले आये अतिविशिष्ट अतिथि इस मामले में अपवाद निकले। घटना बाबा महाकाल के सेनापति कालभैरव मंदिर की है। जहां पर सोमरस चढाने से ही पूजा संपन्न होती है। अतिविशिष्ट अतिथि के लिए व्यवस्था की गई थी। अपने उम्मीद जी और कप्तान साथ थे। पूजा हो गई। तब विशिष्ट अतिथि ने अपनी जेब में हाथ डाला। गुलाबी रंग वाला कागज निकाला। अपने उम्मीद जी को थमा दिया। हालांकि उम्मीद जी ने इंकार किया। मगर विशिष्ट अतिथि नहीं माने। उम्मीद जी को उनका आग्रह स्वीकार करना पड़ा। ऐसा घटना देखने वाले बोल रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
कानून …
आम जनता को बरगलाने के लिए यह बोला जाता है। कानून सभी के लिए समान होता है। इन दिनों गुंडा अभियान चल रहा है। मकान तोड़े जा रहे है। मगर आगर रोड की निवासी एक कमलप्रेमी नेत्री के पति देव पर मेहरबानी हो गई। जबकि नेत्री के पति का नाम लिस्ट में था। बुलडोजर भी चलना पक्का था। नेत्री ने अपने विकास पुरूष और वजनदार जी का सहारा लिया। दोनों ने तत्काल हस्तक्षेप किया। नतीजा कार्रवाई रोक दी गई। ऐसा कमलप्रेमी बोल रहे है। अब सवाल यह है कि …खूबसूरत नेत्री पर इस मेहरबानी के पीछे क्या कारण है… इसको लेकर कमलप्रेमी खूब चर्चा कर रहे है। मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
सवाल …
तो अपने उम्मीद जी के आदेश पर बुलडोजर चल गया। गलत अर्थ नहीं निकाले। हम शहर के सरदारपुरा की बात नहीं कर रहे है। हम तो दाल-बिस्किट वाली तहसील की बात कर रहे है। पंजाप्रेमी पदाधिकारी के गोडाउन पर। खाद की कालाबाजारी का मामला था। उम्मीद जी को बधाई। लेकिन दाल-बिस्किट वाली तहसील में एक सवाल सुनने को मिल रहा है। आखिर बगैर अनुमति के गोडाउन बन कैसे गया? जबकि नपा की अधिकारी छोटे-छोटे निर्माण पर नोटिस थमा देती है। उनकी निगाहों के सामने इतना बड़ा निर्माण कैसे हो गया? उनको आखिर क्यों बख्शा जा रहा है। सवाल आम जनता, अपने उम्मीद जी से कर रही है। एक नोटिस भी नपा अधिकारी को क्यों जारी नहीं किया गया है? सवाल में दम है, मगर हमको तो अपनी आदत के अनुसार चुप ही रहना है।
कौन बनेगा …
पंजाप्रेमियों में कामरेड को बदलने की एक बार फिर कानाफूसी सुनाई दे रही है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। मगर, लाख टके का सवाल है कि … कामरेड की जगह कौन नया अध्यक्ष बनेंगा? तो नानाखेड़ा क्षेत्र के रहवासी युवा पंजाप्रेमी का नाम सामने आ रहा है। जिस पर अभी मोहर लगना बाकी है। लेकिन क्या अपने बिरयानी नेताजी, इतनी आसानी से कामरेड को हटने देंगे। फैसला वक्त करेंगा। तब तक हम अपनी आदत के अनुसार चुप हो जाते है।