11 दिसंबर की लोक अदालत के लिए 15 बकायादारों के नाम की लिस्ट निगम ने भेजी कोर्ट के जज के पास
उज्जैन, (राजेश रावत) अग्निपथ। उज्जैन नगर निगम के 58 हजार से ज्यादा बकायादारों को अब निगम का टैक्स चुकाना ही पड़ेगा। क्योंकि अब मामला कोर्ट के संज्ञान में आ गया है। नगर निगम के संपत्तिकर के 1500 से ज्यादा बकायादारों की लिस्ट लोक अदालत में सुनवाई के लिए भेज दी गई है।
अभी तक यह नोटिस नगर निगम के संपत्तिकर अधिकारी, उपायुक्त, सहायक उपायुक्त के माध्यम से भेजे जाते थे। अब इन सभी बकायादारों को कोर्ट के जज के हस्ताक्षर से नोटिस दिए जाएंगे। ये सभी बकायादार बड़े बकायादारों की श्रेणी में आते हैं। इसमें इन पर 5 से 10 साल से नगर निगम का बकाया है।
कुछ बकायादार कोर्ट केस वाले भी है। इस संबंध में सहायक आयुक्त तेजकरण गुणावदिया ने बताया कि कोर्ट से बड़े बकायादारों की लिस्ट मांगी गई थी। वह उन्हें भेज दी गई है। अब संपत्तिकर के बकायादार लोक अदालत में अपने प्रकरण का निपटारा करा सकते हैं।
इसके लिए उनके घरों पर जजों के हस्ताक्षर वाले नोटिस भेज जाएंगे। करीब दो से तीन झोनों में अभी लिस्ट चस्पा की थी, अब इसे आइल पेंट से स्थायी रूप से लिखा जाएगा। ताकि आते -जाते लोगों को नगर निगम के बड़े बकायादारों के नाम दिखते रहे।
नगर निगम के स्थायी जज मिले यादव
गणावदिया ने बताया कि नगर निगम के सभी प्रकार के बकाया वसूली के लिए स्थायी रुप से सीजे अतुल यादव जज के रूप में मिल गए हैं। ये संपत्तिकर, जलकर समेत निगम के सभी मामलों के वसूली के मामले देखेंगे। इनके लिए नगर निगम से एक प्यून और एक बाबू की व्यवस्था की जा रही है, जो निगम के केसों में मदद करेंगे।
चलित न्यायालय भी वसूली करेगा
गुणावदिया का कहना है कि नगर निगम से न्यायालय द्वारा एक वाहन मांगा गया है। इस वाहन के माध्यम से चलित न्यायालय के जरिए टैक्स की वसूली होगी। कई तरह के चालान और कार्रवाई भी चलित न्यायालय के द्वारा की जाएगी।
जज को वाहन अलाट करने के लिए नगर निगम कमिश्नर ने पत्र लिख दिया है। चलित न्यायालय में नगर निगम के सहायक आयुक्त, आयुक्त स्तर के अधिकारी भी साथ रहेंगे, ताकि किसी तरह के रिकॉर्ड अन्य जानकारी की आवश्यकता हो तो तत्काल ही उपलब्ध कराई जा सके।
600 बड़े बकायादार हैं उज्जैन शहर में
नगर निगम के मुताबिक शहर में 600 ऐसे लोग हैं जिन्हें बड़े बकायादारों की श्रेणी में नगर निगम ने चिन्हित कर रखा है। इन पर लंबे समय से नगर निगम का बकाया है। कई बार नोटिस देने के बाद भी यह लोग निगम का बकाया जमा नहीं करा रहे हैं, इसलिये निगम कोर्ट का सहारा लेने जा रहा है।
कोर्ट में बकायादारों का केस चला गया तो उन्हें बकाया जमा कराना ही पड़ेगा। यह रिकार्ड में आ गया है इसलिये इसे टाला नहीं जा सकता, ना ही इस मामले में कोई राजनैतिक हस्तक्षेप काम आयेगा।