मास्टर प्लान पर 2 हजार आपत्तियां

अवैध कॉलोनियों के रहवासी बोले- न्याय करो शिवराज, जहां कभी साधु नहीं ठहरे वो सिंहस्थ भूमि कैसे

उज्जैन, अग्निपथ। शहर के मास्टर प्लान को लेकर इन दिनों भोपाल में कवायद चल रही है। नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव खुद मास्टर प्लान पर आने वाले दावे-आपत्तियों का निराकरण कर रहे है। इस बीच गुरूवार सुबह पिपलीनाका चौराहे पर सैकड़ो की संख्या में लोग एकत्रित हुए और इस इलाके की रहवासी बस्तियों को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त करने की मांग करने लगे। रहवासियों ने मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव के नाम एडीएम संतोष टेगौर को लगभग 2 हजार लिखित आपत्तियां भी सौंपी है।

भोपाल में 8 मई तक प्रमुख सचिव उज्जैन के प्रस्तावित मास्टर प्लान पर दावे-आपत्तियों पर सुनवाई करेंगे। गुरूवार सुबह पिपलीनाका चौराहे पर सैकड़ो की संख्या में लोग एकत्रित हुए। विधायक पारस जैन और पूर्व नगर निगम अध्यक्ष सोनू गेहलोत ने इनकी अगुवाई की। पिपलीनाका इलाके में महावीर नगर, ग्यारसी नगर, ज्ञान टेकरी, जानकी नगर, हरी नगर ऐसी कॉलोनियां है जहां पिछले 2 दशक में सघन बस्ती हो चुकी है, पक्के मकान बन चुके है, सिंहस्थ 2016 के बाद भी इन कॉलोनियों में 400 से ज्यादा पक्के मकान बन गए है।

पार्षदों और विधायक ने यहां अपने मदों से सडक़, पानी- बिजली का भी इंतजाम करवाया है। तंग गलियों वाली ये अवैध बस्तियां अब भी राजस्व रिकार्ड में सिंहस्थ क्षेत्र के रूप में दर्ज है। हकीकत में इन बस्तियों की जमीन पर अब खाली प्लॉट तक नहीं बचे है। पिछले 36 सालों से इन कॉलोनियों की जमीन पर सिंहस्थ का एक भी कैंप नहीं लगा है, फिर भी ये सिंहस्थ भूमि है।

गुरुवार सुबह पिपलीनाका पर एकत्रित हुए लोग अपनी कॉलोनियों की जमीन को सिंहस्थ क्षेत्र से मुक्त करने की अपील लेकर इकट्ठा हुए थे। अधिकांश ने मास्टर प्लान के लिए लिखित में अपनी आपत्तियां दर्ज कराई और इन आपत्तियों के बंडल को कलेक्टर के प्रतिनिधि को सौंपा गया।

पिछले दिनों भी कलेक्टर आशीष सिंह के निर्देश पर चली सिंहस्थ भूमि को खाली कराने की मुहीम के दौरान जानकी नगर, ज्ञान टेकरी, ग्यारसी नगर के 400 से ज्यादा परिवारों को नगर निगम से मकान तोडऩे के नोटिस जारी हो गए थे। तब से अब तक ये सभी परिवार भयग्रस्त जिंदगी जी रहे है। इन्हें डर है कि शासन-प्रशासन कभी भी इनके मकानों को तोड़ सकता है।

जो जमीन खाली, उसे नहीं किया जाए आवासीय

नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष सोनू गेहलोत ने मास्टर प्लान पर आपत्तियां दर्ज कराने वाले वार्ड क्रमांक 2 और 10 के रहवासियों की अगुवाई की। पूर्व निगम अध्यक्ष ने बताया कि प्रस्तावित मास्टर प्लान में सिंहस्थ बायपास की ऐसी भूमि जहां 2016 में सिंहस्थ के कैंप लगे उसे आवासीय किया जा रहा है। इसके ठीक उलट जहां पिछले 3 बार जो भूमि सिंहस्थ में उपयोग में नही ली गई, जहां बस्तियां है वहां के राजस्व रिकार्ड में अब भी सिंहस्थ भूमी दर्ज है। प्रस्तावित मास्टर प्लान की यह सबसे बड़ी विसंगति है।

ग्रीन बैल्ट कम करने पर भी आपत्ति

गुरुवार को वार्ड क्रमांक 2 व 10 में निवास करने वाले रहवासियों ने एडीएम संतोष टेगौर को मास्टर प्लान के प्रावधानों पर लिखित आपत्तियां दर्ज कराई। सभी आपत्तियों में शिप्रा नदी के किनारे के ग्रीन बेल्ट को 200 मीटर से कम कर 100 मीटर किए जाने पर भी आपत्ति जताई गई। रहवासियों ने मांग की है कि शिप्रा नदी के किनारे ग्रीन बेल्ट को 300 मीटर तक आरक्षित किया जाना चाहिए।

वैधता की राह में सबसे बड़ा रोड़ा

  • उज्जैन में वार्ड क्रमांक 1 से लेकर 6 तक और 10, 12 व 32, 33 नंबर वार्ड की सीमा सिंहस्थ क्षेत्र के अंतर्गत आती है।
  • इन वार्डो में 20 से ज्यादा अवैध कॉलोनियां है। सस्ते प्लॉट के चक्कर में लोगों ने यहां जमीनों के सौदे किए और कच्चे-पक्के मकान बनाकर रहने लगे।
  • पिछले लगभग 30 साल में ऐसी बस्तियों में 10 हजार से ज्यादा मकान बन गए है। लगभग 50 हजार लोग इन बस्तियों में निवास करते है।
  • इनकी जमीनों का उपयोग राजस्व रिकार्ड में सिंहस्थ के रूप में दर्ज है लिहाजा बस्तियों को कभी वैधता का दर्जा नहीं मिल सकता।
  • इन बस्तियों में रहने वाले परिवारों के मकान वैध नहीं कहलाते है, इन्हें बैंक लोन भी नहीं मिलता है। अवैध कॉलोनी होने की वजह से नगर निगम भी सीधे तौर पर इन कॉलोनियों में विकास बस्तियों को कभी वैधता का दर्जा नहीं मिल सकता।
  • इन बस्तियों में रहने वाले परिवारों के मकान वैध नहीं कहलाते है, इन्हें बैंक लोन भी नहीं मिलता है। अवैध कॉलोनी होने की वजह से नगर निगम भी सीधे तौर पर इन कॉलोनियों में विकास कार्य नहीं करवा सकती है।

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