कार्यालय का संचालन नि: शुल्क अन्न क्षेत्र से शुरू विस्तारीकरण कार्य के अंतर्गत व्यवस्था बदली
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में विस्तारीकरण कार्य अपनी प्रगति पर है। इसी के चलते महाकालेश्वर मंदिर की व्यवस्थाओं में बार-बार फेरबदल करना पड़ रहा है । गुरुवार को एक बार फिर से प्रोटोकॉल व्यवस्थाओं में फेरबदल किया गया है जिसके तहत प्रोटोकॉल कार्यालय को निशुल्क अनुदान क्षेत्र मैं स्थानांतरित किया गया है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में विस्तारीकरण कार्य के अंतर्गत पहलेचरण का कार्य पूर्ण हो चुका है । कलेक्टर आशीष सिंह बकायदा इसकी घोषणा भी कर चुके हैं । अब दूसरे चरण के कार्य के अंतर्गत पुराने कंट्रोल रूम से लेकर मार्बल गलियारे तक का भवन जमींदोज किया जाना है।ऐसे में प्रोटोकॉल प्राप्त श्रद्धालुओं का प्रवेश निषेध करना अत्यंत आवश्यक था लिहाजा मंदिर प्रशासन ने गुरुवार से प्रोटोकॉल प्राप्त श्रद्धालुओं का प्रवेश द्वार बदल दिया ।
फैसिलिटी सेंटर से दिया जा रहा था प्रवेश
श्रावण मास से पूर्व प्रोटोकॉल कार्यालय का संचालन निशुल्क अन्नक्षेत्र से किया जा रहा था और श्रद्धालुओं को 4 नंबर गेट से प्रवेश करवा कर विश्राम धाम से होते हुए सभा मंडप और फिर काला गेट से गणपति मंडपम के एक नंबर वीआईपी बैरिकेड में प्रवेश दीया जाकर दर्शन करवाए जा रहे थे । इसी व्यवस्था को अब पुन: लागू किया गया है। श्रद्धालुओं को अब 4 नंबर गेट से प्रवेश दिया जा कर इनकी निकासी 5 नंबर गेट से की जा रही है । प्रोटोकॉल कार्यालय को भी फैसिलिटी सेंटर से हटाकर निशुल्क अन्न क्षेत्र में स्थापित कर दिया गया है । सामान्य श्रद्धालुओं का प्रवेश पूर्व की तरह शंख द्वार से किया जा रहा है ।
महाकाल चौराहे से होंगे शिखर दर्शन
पुराने कंट्रोल रूम से 6 नंबर गेट और यहां से मार्बल गलियारा विस्तारीकरण कार्य के अंतर्गत जमीदोज किया जाना है । समतलीकरण करने के पश्चात महाकाल चौराहे से ही ओमकारेश्वर मंदिर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगेगा। शिखर दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह व्यवस्था काफी सुविधाजनक होगी ।
अनुमति हाथ से बना कर देना पडी
प्रोटोकॉल कार्यालय को निशुल्क अन्न क्षेत्र में स्थानांतरित तो कर दिया गया था लेकिन अनुमति बनाने वाले कंप्यूटर दोपहर 1 बजे तक भी इंस्टॉल नहीं हो पाए थे लिहाजा प्रोटोकॉल प्राप्त श्रद्धालुओं की अनुमति पर्ची पर जारी करनी पड़ी। व्यवस्थाओं मैं फेरबदल करने से पूर्व यदि योजना बना ली जाए तो कर्मचारियों के साथ-साथ आने वाले श्रद्धालुओं को भी परेशानी से बचाया जा सकता है ।