शहर भर की सडक़ों को खोदकर जरा सी भी चिंता नहीं पालने वाली टाटा कंपनी पर आखिर किसकी मेहरबानी है। किन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की मेहरबानी के चलते अभी तक टाटा पर किसी तरह की कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि यह बात सर्वविदित है कि टाटा द्वारा अधिकांश क्षेत्रों में पेटी कांट्रेक्ट के माध्यम से ठेका दे दिया गया है। जिसके कारण शहर में अधिकांश स्थानों पर काम धीमी गति से तो हो ही रहा है साथ ही साथ निर्माण कार्य में गुणवत्ता भी नजर नहीं आ रही है। टाटा की कारगुजारियों पर सांसद अनिल फिरोजिया, मंत्री मोहन यादव और विधायक पारस जैन भी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। ऐसी स्थितियों में भी टाटा कंपनी को अभी तक ब्लेक लिस्टेड नहीं किया गया है। जबकि टाटा कंपनी की तय समय सीमा भी नजदीक आ चुकी है और उसका बहुत अधिक काम शेष रहा है। पुराने शहर में तो टाटा ने अभी काम शुरू भी नहीं किया है। वहां पर सबसे ज्यादा समय लगने वाला है। हालांकि तत्कालीन निगम आयुक्त प्रतिभा पाल ने टाटा कंपनी पर जुर्माना जरूर किया था। किन्तु उसके बाद भी टाटा ने कोई सबक नहीं लिया है।