उज्जैन, अग्निपथ। संहार शक्ति व तमोगुण के अधिष्ठाता सदाशिव की रात्रि महाशिवरात्रि महापर्व शिव आराधना की सर्वश्रेष्ठ रात्रि मानी जाती है क्योंकि, चतुर्दशी के स्वामी स्वयं शिव है। सनातन धर्म में 12 माह की 12 शिवरात्रियां होती है। जिसमे फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि महाशिवरात्रि के नाम से प्रसिद्ध है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर में शिवनवरात्रि का उत्सव बड़ी धूम-धाम व उल्हास के साथ मनाया जाता है। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण स्थित कोटितीर्थ के तट पर प्रात: 8 बजे से श्री गणेश पूजन व श्री कोटेश्वर महादेव भगवान का पूजन-अभिषेक-आरती के साथ शिव नवरात्रि महोत्सव के दूसरे दिवस का प्रारम्भ हुआ।
श्री महाकालेश्वर मंदिर के मुख्य पुजारी पं. घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में 11 ब्राह्मणों ने महाकाल भगवान का अभिषेक एकादश-एकादशनी रूद्रपाठ से किया गया । पूजन का यह क्रम 8 मार्च तक प्रतिदिन चलेगा। अपराह्न में 3 बजे सांध्य पंचामृत पूजन के पश्चात श्री महाकालेश्वर भगवान ने भांग श्रृंगार कर निराकार से साकार रूप धारण किया।
शिव नवरात्रि के दूसरे दिन संध्या पूजन के पश्चात भगवान श्री महाकालेश्वर ने शेषनाग धारण कर भक्तों को दर्शन दिये। भगवान श्री महाकालेश्वर को गुलाबी रंग के नवीन वस्त्र के साथ मेखला, दुप्पटा, मुकुट, मुंड-माला, छत्र आदि से सुसज्जित कर भगवान जी का भांग, चंदन व सूखे मेंवे से श्रृंगार किया गया। साथ ही भगवान श्री महाकालेश्वर को मुकुट, मुण्ड माला, नागकुंडल एवं फलों की माला के साथ शेषनाग धारण करवाया गया।
श्री धनधान्येश्वर महादेव जी की कथा का वर्णन
हरि भक्त परायण पं. रमेश कानडकर की शिव कथा, हरि कीर्तन का आयोजन शाम 4.30 से 6 बजे तक मन्दिर परिसर मे नवग्रह मन्दिर के पास संगमरमर के चबूतरे पर किया जा रहा है। शुक्रवार को पं. कानडकर ने श्री धनधान्येश्वर महादेव जी की कथा का वर्णन किया। तबले पर संगत असीम कानडकर ने की। शनिवार 2 मार्च को श्री महाकालेश्वर भगवान श्री घटाटोप के स्वरूप में श्रद्धालुओं को दर्शन देगें।