नए साल पर इसलिए ध्वस्त हुई उज्जैन पुलिस की यातायात व्यवस्था

200 जवानों की जरूरत थी लेकिन लिए मिले केवल 100

उज्जैन, अग्निपथ। नववर्ष पर महाकाल मंदिर में 5 लाख दर्शनार्थी पहुंचे। लाखों की संख्या में आए दर्शनार्थियों के कारण शहर में बड़ी संख्या में वाहनों का आगमन हुआ। हजारों की संख्या में पहुंचे वाहन और शहर के लोकल परिवहन ने मिलकर उज्जैन पुलिस की यातायात व्यवस्था को ध्वस्त कर दिया।

जितनी संख्या नए साल की पहली तारीख को शहर में मौजूद थी उसके मुताबिक यातायात व्यवस्था को संभालने के लिए दो शिफ्टों में 200 जवानों की जरुरत थी जबकि यातायात पुलिस के केवल 100 जवान यातायात व्यवस्था संभालने में जुटे हुए थे। हालांकि कईं सडक़ें और चौराहें ऐसे थे जहां पर कोई पुलिस जवान मौजूद नहीं दिखा और लंबा जाम लगा रहा।

यूं तो प्रति शनिवार से सोमवार तक शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ जाती है लेकिन नव वर्ष के एक दो दिन पहले से यातायात व्यवस्था ज्यादा बिगड़ी हुई दिखाई दे रही थी जो पहली जनवरी को पूरी तरह ध्वस्त हो गई। महाकाल मंदिर के सामने वाला कोटमोहल्ला चौराहे से चारों तरफ जाम की स्थिति बनी रही।

सुबह से लेकर देर रात तक जाम

यहां पैदल चलने वालों के साथ ही वाहन चालकों का लंबा जाम सुबह से लेकर देर रात तक जाम रहा। हालांकि पुलिस जवानों की मुस्तैदी से जैसे-तैसे जाम खुलवाकर वाहनों को गति दी जा रही थी लेकिन ट्रैफिक ज्यादा होने से इस रोड पर दिनभर वाहन रेंगते हुृए ही चलते रहे।

इधर बेगमबाग कॉैलोनी से लेकर गुदरी चौराहा, लोहे के पुल से कोटमोहल्ला चौराहा, गुदरी से 24 खंभा चौराहे पर यातायात व्यवस्था दिनभर ध्वस्त रही हालांकि पुलिस ने ज्यादा समय तक जाम नहीं रहने दिया। इस ट्रैफिक का दबाव दौलतगंज चौराहे पर भी देखने को मिला। यहां मालीपुरा, फव्वारा चौक, तोपखाना और इंदौर गेट की तरफ से आने वाले वाहनों का लंबा जाम दौलतगंज चौराहे पर लगता रहा।

यह स्थिति केवल 1 जनवरी को नहीं अपितु पूरे सप्ताह भर से देखने को मिल रही है। शहर में बढी भीड़ का असर हरसिद्धि मंदिर से लेकर शहर के सभी देवालयों पर देखने को मिला।

लोगों को परेशान होना पड़ा।

कालभैरव मंदिर, मंगलनाथ, सांदीपनि आश्रम, गढक़ालिका माता मंदिर लगभग सभी देवालयों के बाहर वाहनों के जाम से लोगों को परेशान होना पड़ा। ट्रेफिक टीआई दिलीप सिंह परिहार ने बताया कि श्रद्धालुओं की जितनी संख्या और वाहनों की तादाद के मुताबिक पहली जनवरी को यातायात के लिए कम से कम 200 जवानों की जरूरत थी जबकि यातायात संभालने के लिए 100 जवान दो शिफ्टों में तैनात रहें।

पार्किंग भी पर्याप्त नहीं

इसके अलावा पार्किंग भी पर्याप्त नहीं थी लोग पैदल चलने के लिए पार्किंग का इस्तेमाल कर रहे थे। इसी वजह से यातायात व्यवस्था प्रभावित हुई। हालांकि हमने कहीं भी जाम नहीं लगने दिया।

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