ना सेबी का लाइसेंस ना फर्म का रजिस्ट्रेशन, शेयर मार्केट की फर्जी एडवाइजरी

क्राईम ब्रांच ने चार जगह दबिश दी-130 कर्मचारियों को पकड़ा, करोड़ों का हेरफेर कर रही एडवाइजरी कंपनियां

उज्जैन, अग्निपथ। शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर शहर में झूठी एडवाइज का गोरखधंधा चल रहा है। ये फर्जी कंपनियां करोड़ों का शेयर मार्केट से बड़ा लाभ कमाने का लालच देकर करोड़ों रुपए का हेरफेर कर रही हैं। उज्जैन क्राइम ब्रांच ने बुधवार को शहर में एक साथ चार फर्जी एडवाइजरी कंपनियों पर दबिश देकर 130 कर्मचारियों को हिरासत में लिया। इन फर्जी एडवाइजरी सेंटर्स पर निवेश के नाम पर लोगों को ठगने के आरोप हैं।

एसपी प्रदीप शर्मा ने बतायास उज्जैन पुलिस की चार विशेष टीमों ने शहर में संचालित चार फर्जी कार्यालयों पर दबिश देकर एक संगठित गिरोह का पर्दाफाश करते हुए शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर धोखाधड़ी करने वालों पर बड़ी कार्रवाई की है। इस दौरान पुलिस ने चार अलग-अलग स्थानों पर दबिश देकर कार्यालयों में काम करने वाले 130 युवक-युवतियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की।

इन कार्यालयों का संचालन करने वाले 5 मुख्य आरोपियों में से 2 आरोपी अजय पंवार और शशि मालवीय को गिरफ्तार कर लिया है। इसके अलावा तीन आरोपी चंदन भदौरिया, दीपक मालवीय और विनय राठौर फरार बताए जा रहे हैं।

निवेशकों को ठगने का काम कर रही फर्जी कंपनियां

यह गिरोह संगठित तरीके से फर्जी एडवाइजरी कंपनियों के माध्यम से निवेशकों को ठगने का काम कर रही थी। ये कंपनियां अपने आपको शेयर मार्केट की वैध कंपनियां बताकर लोगों को निवेश के लिए प्रेरित करती थीं। निवेशकों को डिमेट अकाउंट खुलवाने और शेयर मार्केट में निवेश करने पर अत्यधिक लाभ का झांसा देकर निवेश कराती थी।

सेबी से पंजीकृत नहीं

पुलिस जांच में यह पाया गया कि ये कंपनियां भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) से पंजीकृत नहीं हैं। इन कंपनियों के संचालक अलग-अलग नामों से कार्यालय स्थापित करते हैं और प्रत्येक स्थान पर अपने कार्याों को वैध रूप में प्रस्तुत करते हैं। इनके कर्मचारी निवेशकों को भारी मुनाफे का लालच देकर निवेश के लिए राजी करते थे।

फर्जी एडवाइजरी कंपनियां ना केवल निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करती हैं। अपितु मोटा कमिशन भी वसूल करती है। जब निवेशकों का पैसा शेयर बाजार में लगाया जाता है तो इसे जानबूझकर घाटे में दिखाया जाता और उनकी पूरी राशि हड़प ली जाती है।

इन कंपनियों का सेबी से पंजीकृत नहीं होना यह भी दर्शाता है कि ये फ र्म न तो किसी नियामक मानकों का पालन करती हैं और न ही उनके पास वैध वित्तिय सलाहकारों के रूप में काम करने की अनुमति है। यह गिरोह ना केवल निवेशकों को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहा था बल्कि शेयर बाजार में विश्वास को भी ठेस पहुंचा रहा था।

यहां से देते थे शेयर मार्केट की फर्जी एडवाइज

पुलिस ने चार विशेष टीमों का गठन किया। इन टीमों ने क्राइम ब्रांच के साथ मिलकर चार स्थानों पर एक साथ दबिश दी।
नीलगंगा थाना क्षेत्र स्थित तीन बत्ती चौराहे पर विशाल मेगा मार्ट की तीसरी मंजिल पर संचालित चॉइस ब्रोकिंग फर्म। कुबेर होटल के ऊपर संचालित रिसर्च मार्ट लिमिटेड, स्टॉक रिसर्च एंड बुलिश इंडिया। एके बिल्डिंग चौराहा पर संचालित मनी मैग्रेट रिसर्च लिमिटेड। शंकु मार्ग पर संचालित एंजेल वन लिमिटेड।

बरामद सामग्री

बड़ी संख्या में लैपटॉप और मोबाइल फोन, निवेशकों की निजी जानकारी और मोबाइल नंबरों की सूची। फर्जी दस्तावेज और अन्य संदिग्ध सामग्री।

जांच के महत्पवूर्ण बिंदू

1.आरोपियों द्वारा निवेशों की सूची कहां से प्राप्त की गई।

2.किस आधार पर फर्जी एडवाइजरी कंपनियां खोली गई।

वापस कैसे पनप जाती हैं ये कंपनियां

उज्जैन क्राइम ब्रांच ने करीब दो साल पहले भी शहर में तीन से ज्यादा फर्जी एडवाइजरी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की थी। इस कार्रवाई में शामिल आरोपी ही तब भी पकड़ में आए थे। दो साल बाद किस तरह से ये वापस शहर में पनप गए। इसकी भी जांच की जाना चाहिए।

इनका कहना

शेयर मार्केट में निवेश के नाम पर फर्जी एडवाइजरी कंपनियों की जानकारी सामने आई थी। पुलिस टीम बनाकर दबिश दी गई तो 130 से ज्यादा फर्जी एडवाइज देते हुए युवक युवती पकड़ाए। मुख्य आरोपियों में से दो पकड़ाए हैं जबकि तीन लोग फरार हैं, जिनकी तलाश की जा रही है।
– प्रदीप शर्मा, एसपी

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