आदिवासी अंचलों में छाया गहरा जल संकट
झाबुआ। मध्यप्रदेश का आदिवासी जिला झाबुआ इन दिनों पूरी तरह से नशे के कारोबारियों की गिरफ्त में आ चुका है। जिले के नौजवान नशे के आदी हो रहे हंै और अधिक नशा करने के कारण वे आये दिन अपनी जान से भी हाथ धो रहे हैं।
लेकिन जिले का आबकारी और पुलिस प्रशासन इस दिशा में आज तक कोई ठोस सकारात्मक पहल नहीं कर सका है, जिसके चलते नशे के कारोबारियों के हौंसले बुलंदी पर हैं। झाबुआ जिले में अवैध शराब, ड्रग्स, हाथ भट्टियों से बनी कच्ची शराब आदि बनाकर बेचने का धंधा जोरों पर चलता है। कई युवा जन तो पेट्रोल भी सूंघ कर नशा करते हंै, इस प्रकार की घटनाएं पूर्व में भी जिले में कई बार सामने आ चुकी है और कई युवाओं की मौतें हो चुकी है।
हाल ही में प्रोफेसर गोपाल भूरिया के लडक़े द्वारा इंजेक्शन से ड्रग्स लेकर आत्महत्या का मामला सामने आया है। लेकिन इन घटनाओं के बाद भी जिले का कानूनी महकमा आज तक नहीं जागा है।
घटनाएंं होती है हल्ला मचता है और फिर वापस मामले शांत हो जाते हैं। जिले में इतना घातक ड्रग्स कहां से आ रहा है। कौन ला रहा है? कैसे बिकते है? इन सब बातों पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जिले में व झाबुआ मुख्यालय पर जनसंख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है, कई अन आईडेन्टीफाई लोग झाबुआ में आकर रह रहे हैं। लेकिन इन लोगों पर पुलिस महकमें का ध्यान नहीं है, जिससे जिले में लगातार अवैध धंधे फल फूल रहे हंै।
जिले में अवैध शराब के धंधे भी जोरों पर है, जिले में बड़ी संख्या में देशी और विदेशी शराब की दुकाने हंै। लेकिन इसके बावजूद राजस्थान और मध्यप्रदेश के अन्य शहरों से यहां पर अवैध रूप से शराब आती है और बिकती है। झाबुआ जिले और जिला मुख्यालय पर गली मोहल्लों में अवैध शराब बेची जाती है जिसकी जानकारी आबकारी और पुलिस विभाग को होती है लेकिन धंधे चलते रहते हैं। जिले में आबकारी और पुलिस विभाग बताने को आये दिन छोटे-छोटे अवैध धंधे बाजों को पकड़ता रहता है और अपने टारगेट पूरे करता रहता है। लेकिन इनकी आड़ में बडे शराब माफिया आराम से अपनी अवैध शराब की ट्रकों को गुजरात भेजते रहते हैं।
झाबुआ जिले की मदरानी, पिटोल, काकनवानी, कुंदनपुर आदि गांवों की छोटी-छोटी सरकारी शराब दुकानों को ठेकेदारों द्वारा करोडों रुपयों की बोली लगाकर लिया जाता है। इन गांवों की जनसंख्या भी इतनी कम है कि यहां के निवासी इतनी शराब पी नहीं सकते तो फिर आखिर इन गांवों से करोड़ों रुपयों की शराब कहां बेची जाती है। निश्चित रूप से यहां से आये दिन आबकारी विभाग के संरक्षण में यह ठेकेदार गुजरात में अवैध रूप से शराब भेजकर करोडों के वारे न्यारे करते रहते हैं।
दाहोद, गुजरात में शराब पर पूर्ण पांबदी है। लेकिन इससे सटे ग्रामीण इलाकों और दाहोद में हर वेरायटी की मंहगी से मंहगी शराब मिल जाती है। झाबुआ जिले में गांव-गांव में अवैध शराब झोपड़ी-झोपड़ी मिल जाती है, ऊपर से महुआ की अवैध भट्टियों की शराब भी आसानी से मिल जाती है। जिले में इसके अलावा सट्टा-जुआ का कारोबार भी जोर-शोर से चल रहा है, क्या पुलिस और आबकारी विभाग इस ओर ध्यान देकर इन अवैध धंधे बाजों को गिरफ्त में ले सकेंगे या फिर झाबुआ इन अवैध नशे के कारोबारियों की जकडऩ मेें इसी तरह बना रहेगा और यहां के नौ जवान नशे के आदी होकर अपना जीवन बर्बाद करते रहेगें ये यक्ष प्रश्न बना हुआ है।