नगरीय निकाय चुनाव को लेकर इस बार कांग्रेस कोई मौका खोना नहीं चाहती। यही कारण है कि कांग्रेसी नेता चुनाव की घोषणा के पूर्व ही जाग्रत हो गये हैं। कांग्रेस ने अपने संगठन विस्तार की योजना भी शुरू कर दी है। प्रदेश में जो हालात हैं, उसे कांग्रेस अपने पक्ष में मान रही है।
कोरोना को लेकर शिवराज सरकार से आमजनता खुश नहीं है। वहीं पेट्रोल डीजल और रसोई गैस ने लोगों का बजट बिगाड़ रखा है। इन्हीं सब बातों को लेकर कांग्रेस ने कमर कस ली है। जिस तरह से कांग्रेस मैदान में आयी है उससे लग रहा है कि इसी बार नगरीय निकाय चुनाव में वह कुछ करना चाहती है। बूथ स्तर पर कार्यकर्ता तैयार करने की योजना भी कांंग्रेसी नेताओं द्वारा रखी गयी है।
इसी के साथ ब्लाक अध्यक्षों का कद बढ़ाने की बात भी कही जा रही है। प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभाल रहे कमलनाथ के पास इसी चुनाव में कुछ कर दिखाने का अवसर है। पिछले दिनों हुए विधानसभा के उपचुनाव में कमलनाथ बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं जमा पाये थे। नगरीय निकाय चुनाव को लेकर प्रदेश अध्यक्ष के पास पर्याप्त समय है।
ऐसी स्थिति में उम्मीद की जा सकती है कि वह संगठन में जान फूंक दें। इसी रणनीति पर कांग्रेस काम कर रही है। नगरीय निकाय चुनाव कांगे्रस के लिये एक बार फिर सत्ता प्राप्त का रास्ता हो सकते हैं। इसलिये कांग्रेस अभी से तैयारी कर रही है।