गाजियाबाद (उत्तरप्रदेश)। यूक्रेन में फंसे छात्र जब भारत लौटे, तो उन्होंने गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पर ‘मोदी जिंदाबाद’ के नारे नहीं लगाए। केंद्रीय रक्षा मंत्री अजय भट्ट भारतीय वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान में अंदर पहुंचकर छात्रों से मुखातिब थे। इस दौरान मंत्री ने छात्रों से कहा, ‘बिलकुल चिंता मत करिए। जीवन बच गया है। मोदीजी की कृपा से सब ठीक होगा।’
इतना कहते हुए मंत्री ने दो बार ‘भारत माता की…’ बोला तो छात्रों ने इसका जवाब ‘जय’ कहकर दिया। तीसरी बार मंत्री ने बोला- ‘माननीय मोदी जी जिंदाबाद।’ इस पर सारे छात्र चुप हो गए। आखिकार मंत्री ने ही दो बार ‘माननीय मोदी जी जिंदाबाद’ के नारे लगाकर माहौल बनाया। यह वीडियो अब खूब शेयर किया जा रहा है।
केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट ने संकटग्रस्त यूक्रेन से वतन वापसी करने वाले भारतीय छात्र-छात्राओं के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की। यहां तक कि उन्होंने इन बच्चों से “मोदी जी जिंदाबाद” का नारा भी लगवाया। हालांकि, उनकी इस कोशिश पर बैच के अधिकतर बच्चों ने चुप्पी साध ली थी। इस बीच, देश लौटी एक लड़की ने मीडिया को बताया कि वे लोग अपने प्रयास से मुल्क आ पाए हैं। ऐसे में सरकार को वाहवाही नहीं लूटनी चाहिए।
दरअसल, भारतीय वायु सेना का जो चौथा विमान यूक्रेन में फंसे भारतीय स्टूडेंट्स को लेकर दिल्ली के नजदीक हिंडन एयरबेस आया था, उसमें छात्र-छात्राओं से मंत्री अजय भट्ट भी मुखातिब हुए थे। उन्होंने सभी का स्वागत करते हुए बताया था कि पीएम मोदी एक-एक घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं।
गुरुवार सुबह भट्ट ने इस बातचीत के दौरान भारतीय वायु सेना के अधिकारियों की सराहना भी की। वैसे, उन्होंने अपने भाषण के अधिकतर हिस्से में पीएम मोदी के तारीफों के पुल बांधे।
उन्होंने आगे कहा, “अगर पीएम मोदी का नेतृत्व हमें न मिला होता, तो न जाने आज क्या स्थिति होती…।” लगभग पांच मिनट के अपनी पूरी स्पीच में उन्होंने साफ कहा कि बच्चों का जीवन मोदी जी के प्रयासों की वजह से बच पाया है और सब कुछ ठीक होगा। यह कहने के बाद उन्होंने भारत मां की जय और मोदी जी जिंदाबाद का नारा लगवाया था।
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छात्र बोला ये इवैक्यूएशन नहीं
इस बीच, पश्चिमी यूक्रेन के हॉस्टल रूम और बंकर में फंसे 22 वर्षीय अनिमेष मिश्रा ने कहा, “यह इवैक्युएशन कैसे कहा जाएगा?” उन्होंने आगे बताया कि सरकार इसे एक इवैक्युएशन कह रही है, पर वह पश्चिमी हिस्से से लोगों को ला रही है, जो पहले से ही सुरक्षित हैं। जो लोग भी बॉर्डर तक पहुंचे हैं, वे अपने बलबूते पहुंचे हैं। वहां उनकी मदद के लिए कोई भी नहीं था।
मिश्रा उन सैकड़ों छात्रों में थे, जो 25 किमी पैदल चलकर Pesochin पहुंचे। शहर से निकलने के लिए वह रेलवे स्टेशन तक पहुंचना चाहते थे, पर उन्हें वहां तक के लिए कोई साधन नहीं मिला। उन्होंने बताया- भगदड़ जैसी नौबत थी।