अर्जुन सिंह चंदेल
अब बात करते हैं आज के आदमी की लाईफ लाईन यानि की मोबाइल की। जिस तरह इंसान की जिंदगी के लिये हवा-पानी-भोजन जरूरी है इसी तरह इन तीनों चीजों के अलावा वर्तमान में मोबाइल भी जरूरी है। यदि मोबाइल ना हो तो जिंदगी सूनी-सूनी सी लगती है। जेल के अंदर मोबाइल से बात करने की सुविधा? आप इसे अकल्पनीय और अविश्वसनीय मान सकते हो परंतु देश भर की जेलों में पदस्थ अधिकारियों की दरियादिली और उनकी दयालुता के कारण कैदियों को यह सुविधा भी उपलब्ध है।
तो देखते हैं हमारे भैरवगढ़ जेल में कैदियों को यह सुविधा कितनी धनराशि में उपलब्ध है। जेल के नियंत्रण कक्ष प्रार्थना भवन से संचार मंत्री की नियुक्ति की जाती है या मोबाइल का ठेका दिया जाता है। जो भी कैदी मोबाइल का ठेका लेता है उसे प्रतिदिन जेल अधिकारियों को 2000/- रुपयों का भुगतान करना होता है। 2000 चुकता करने के बाद वह कैदी ठेकेदार आराम से जेल के अंदर मोबाइल का संचालन करता है।
सारी बैरकों में घूम-घूमकर वह कैदियों से पूछता है किसी को अपने घर, परिचित, दोस्तों से बात तो नहीं करनी है? जो घर-परिवार में मोबाइल से बात करना चाहते हैं उन्हें एक बार फोन करने के 100/- रुपये अदा करना होता है दिन भर में 30-35 कैदी जेल के अंदर से अपने परिजनों से बात करते हैं। औसतन प्रतिदिन साढ़े तीन हजार की कमाई यदि कैदी ठेकेदार ने प्रतिदिन 2000/- दो हजार रुपये जेल अधिकारियों को दे भी दिये तो 1000-1500 रुपये की आमदनी उसे भी हो रही है।
शेष कल