जूना महाकाल के सामने स्थित यह मंदिर बुधवार रात तक स्थित था, सुबह सिर्फ ओटला बचा, मां पार्वती-श्रीगणेश व नंदी की प्रतिमाएं भी नहीं
उज्जैन, (हरिओम राय) अग्निपथ। श्री महाकाल महालोक से सप्त ऋषियों की मूर्तियां हवा में उडऩे के बाद अब श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर से प्राचीन पशुपति नाथ मंदिर गायब हो गया। मंदिर किसने तोड़ा, रातों-रात उसका मलबा कहां गायब हो गया, इन सवालों के जबाव पहेली बने हुए हैं।
जैसा कि आप फोटो में देख रहे हैं, जूना महाकाल मंदिर के सामने नंदी प्रतिमा के पीछे स्थित अति प्राचीन मंदिर अब नहीं रहा है। मंदिर को पशुपतिनाथ के रूप में जाना जाता है। बुधवार 31 मई की रात तक यहां पर मंदिर सही सलामत था। मंदिर में सिर्फ पिल्लर और छत थी। चारों ओर से मंदिर खुला था। अंदर भोलेनाथ के साथ-साथ मां पार्वती, भगवान श्रीगणेश और नंदी की प्राचीन प्रतिमाएं भी विराजित थीं।
सुबह सिर्फ ओटला बचा
गुरुवार सुबह जब यहां साफ-सफाई और पूजन करने वाले पंडित जी पहुंचे तो यहां सिर्फ ओटला बचा था। मां पार्वती, श्रीगणेश और भगवान नंदी की प्रतिमाएं भी गायब थीं। क्षतिग्रस्त ओटले पर सिर्फ भोलेनाथ की मूर्ति विराजित थीं। खास बात तो यह है कि मंदिर तोडऩे का वहां कोई अवशेष भी नहीं था। प्राचीन पिल्लर, मंदिर की छत, मूर्तियां, आदि कोई भी सामग्री वहां नहीं छोड़ी थी। सभी को रातों रात हटा दिया गया।
पंडे-पुजारियों में आक्रोश
इस घटना से बरसों से मंदिरों की सेवा कर रहे पंडे-पुजारियों में तीखा आक्रोश देखा गया। लेकिन मंदिर समिति द्वारा इन दिनों जिस तरह भय का माहौल बना रखा है, उस कारण कोई भी घटना के विरोध में खुलकर बोलने को तैयार नहीं है।
मंदिर समिति भी मौन
इस मामले में मंदिर समिति प्रशासक संदीप सोनी से चर्चा का प्रयास किया गया तो उन्होंने कोई बात नहीं की। उन्हें मैसेज किया गया तो भी उनके द्वारा घटना के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की गई। जिससे स्पष्ट है कि मंदिर तोडऩे का मामला समिति की जानकारी में हैं, लेकिन इसे दबाया जा रहा है।
क्या कारण हो सकते हैं मंदिर टूटने के
- टनल निर्माण के कारण वाहनों की आवाजाही में प्राचीन मंदिर का स्ट्रक्चर क्षतिग्रस्त हुआ हो। गलती छिपाने के लिए ठेकेदार ने मंदिर समिति की मिलीभगत से रातों रात मंदिर के टूटे हिस्से को हटा दिया।
- मंदिर समिति महाकाल मंदिर परिसर से प्राचीन मंदिरों को हटाने के प्रयास में लगी है इस कारण निर्माण कार्य के दौरान यह कृत्य किया गया हो। इसके पहले भी प्राचीन सती माता मंदिर और रिद्धि सिद्धि विनायक प्रतिमाओं को अपने स्थान से हटाया और आज तक नया मंदिर उपलब्ध नहीं कराया।
महाकाल लोक में सप्तऋषियों की नई मूर्तियां ही लगेंगी
उज्जैन के महाकाल लोक में तेज आंधी के कारण गिरी मूर्तियों के बाद राजनीति तेज हो गई है। आंधी से उखड़ी सप्त ऋषियों की मूर्तियों को रिपेयर नहीं किया जाएगा। यानी खंडित मूर्तियां नहीं लगाई जाएंगी। इसकी जगह सप्त ऋषियों की नई मूर्तियां लगाई जाएंगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके निर्देश भी दिए हैं। दूसरी तरफ महाकाल लोक में मूर्तियों को रिपेयर करने का काम भी चल रहा है। वहीं, कांग्रेस के सात सदस्यीय जांच दल ने मूर्ति लगाने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। बता दें कि रविवार को उज्जैन में तेज आंधी के कारण महाकाल लोक परिसर में लगी सप्त ऋषियों की 7 में से 6 मूर्तियां गिर गई थीं। कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने बताया कि मुख्यमंत्री के आदेश के मुताबिक सभी 6 मूर्तियों को नया इंस्टॉल किया जाएगा। इसका खर्च भी कंपनी ही वहन करेगी। इसे दो महीने का वक्त लगेगा।