वाहन मालिकों को सिस्टम लगवाना पड़ रहा महंगा, अनुबंधित कंपनी 20 हजार रुपये ले रही
उज्जैन, अग्निपथ। आरटीओ ने शहर के मैजिक चालकों को जीपीएस नहीं लगवाने पर उनका फिटनेस प्रमाण पत्र देना बंद कर दिया है। शहर के मैजिक वाहन चालक जब तक अपने वाहन में जीपीएस सिस्टम नहीं लगवाते हैं तब तक उन्हें फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किए जाएंगे। ऐसे में वाहन चालकों ने भी इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। वे जीपीएस नहीं लगवाने के कई कारण बता रहे हैं।
मैजिक चालक अनीस खान ने बताया कि उनके पास 16 किलोमीटर रेडियस तक मैजिक चलाने का परमिट है। ऐसे में 16 किलोमीटर के इस एक ही रुट पर जीपीएस लगाने का कोई औचित्य नहीं। इससे मेरा सिर्फ आर्थिक बोझ बढ़ेगा, वहीं परिवहन विभाग ने जिस कंपनी को जीपीएस लगाने का काम दे रखा है, वह जीपीएस बहुत महंगा लगा रही हैं, जबकि अब तो बस, आटो और ई रिक्शा के चलते वैसे ही धंधा मंदा हो गया है।
मैजिक चालक अनिल गोस्वामी ने बताया कि उनके पास भी मैजिक चलाने का परमिट है। इस रूट पर 25 से 30 वाहन चल रहे हैं लेकिन अधिकांश मैजिक वाहन मालिक जीपीएस नहीं लगवा रहे हैं, क्योंकि जीपीएस लगवाने के 20 हजार रुपये लग रहे हैं, जबकि फिटनेस की सरकारी फीस मात्र 1500 रुपए है। जीपीएस बेहद महंगे होने से मैजिक वाहन मालिक नहीं लगवा रहे हैं।
जीपीएस के बाद ही फिटनेस
इसी तरह अन्य मैजिक वाहन मालिकों का कहना है कि जितने रुपए जीपीएस लगवाने में खर्च हो रहे हैं, उतनी तो महीने भर की कमाई ही नहीं है। ऐसे में मैजिक वाहनों की फिटनेस भी नहीं हो पा रहा हैं, क्योंकि जीपीएस लगाने के बाद ही आरटीओ की फिटनेस शाखा की ओर से फिटनेस प्रमाण पत्र दिया जा रहा है, जिस पर इतना खर्च करना मामूली चालक के लिए संभव नहीं हैं। इसलिए अब जल्द ही हम सब मिलकर मैजिक वाहनों को जीपीएस से मुक्त रखने की मांग करेंगे।
आरटीओ को भी राजस्व का नुकसान
जानकारी के मुताबिक हर माह औसतन 60-70 मैजिक वाहनों का फिटनेस होता है। बगैर जीपीएस के मैजिक वाहनों की फिटनेस नहीं हो रही है। एक मैजिक का फिटनेस का शुल्क 1500 रुपये है। इस हिसाब से एक महीने में करीबन एक लाख रुपये के राजस्व का नुकसान परिवहन विभाग को हो रहा है। इतना ही नहीं मैजिक वाहनों के फिटनेस नहीं होने से एजेंटों की कमाई भी मारी जा रही है।