महाकालेश्वर मंदिर में ‘कमाई’ के चक्कर में आम श्रद्धालुओं की अनदेखी

चार माह में केवल दो बार कराये गर्भगृह से दर्शन

उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर में आम श्रद्धालुओं को भगवान महाकाल शिवलिंग का सामीप्य नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि उनके जेब मे पैसे नहीं हैं। लेकिन 1500 रुपए टिकट कटवाने वाले आराम से भगवान महाकाल के समीप जाकर पूजन अर्चन कर रहे हैं। ऐसे में आम और खास के बीच की खाई स्पष्ट रूप से महाकालेश्वर मंदिर में दृष्टिगोचर हो रही है।

महाकालेश्वर मंदिर में 1500 रुपए में दो लोगों को गर्भगृह में दर्शन प्रवेश की पात्रता प्रदान की गई है। पूर्व में यह व्यवस्था केवल पुरोहितों के पास थी। लेकिन अब मंदिर प्रशासन ने इसको अपने हाथों में लेते हुए कुछ माह पूर्व बिना पुरोहितों की मदद के श्रद्धालुओं द्वारा टिकट कटवा कर प्रवेश व्यवस्था शुरू की थी।

इससे प्रतिदिन 6 से 8 लाख रुपए की कमाई मंदिर प्रबंध समिति को हो रही है। लेकिन आम श्रद्धालु आज भी गर्भगृह से भगवान महाकाल के दर्शन से वंचित हो रहा है। चार माह में केवल वसंत पंचमी और दो दिन आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन व्यवस्था शुरू की गई। इसके बाद से आज तक आम श्रद्धालु गर्भगृह से दर्शन का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उनको भगवान महाकाल के समीप से दर्शन नहीं हो पा रहे हैं।

समय 1 से 4…फिर भी कोताही

प्रतिदिन गर्भगृह से आम श्रद्धालुओं के लिए दर्शन व्यवस्था कुछ दिन पहले शुरू की गई थी। जिसमें भीड़ नहीं होने पर दोपहर 1 से 4 बजे तक का समय निर्धारित किया गया था। इसमें 1500 रुपए रसीदधारियों का समय कम कर दिया गया था। जोकि दोपहर 12 से 1 बजे तक का किया गया है। लेकिन भीड़ कम होने के बावजूद भी गर्भगृह से दर्शन शुरू नहीं किए गए हैं। जोकि आम श्रद्धालुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ प्रतीत हो रहा है।

बेरिकेड्स लगाने और हटाने से बच रहे

जानकारी में आया है कि दोपहर 1 बजे जब 1500 की रसीदधारियों का समय समाप्त होता है। और आनन फानन में आम श्रद्धालुओं को दर्शन कराने के लिए बेरिकेड्स लगाने की व्यवस्था करना पड़ती है। तब मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस दौरान कोई जवाबदार अधिकारी खड़ा रहकर यह काम कराए तो व्यवस्था बन जाती है।

अन्यथा ऐसा ही चलता रहता है। ज्ञात रहे कि गणपति मंडपम की वीआईपी लाइन के कार्नर से लेकर नंदी हाल में लगे चांदी द्वार तक बेरिकेड्स लगाने पड़ते हैं, जिसमें कर्मचारियों को पसीने आ जाते हैं। मंदिर के बाहर की व्यवस्था भी बदलना पड़ती है। इन मगजमारियों से बचने के लिए भी आम श्रद्धालुओं को प्रवेश की व्यवस्था अभी तक शुरू नहीं की गई है।

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