दिन में पुलिस वाले आने नहीं देते तो रात में आकर भंडारे में दान दे रहे
उज्जैन, अग्निपथ। नमन है उज्जैन वालों आपको। आपकी सेवा भावना को साधुवाद। दिन में पुलिस-प्रशासन नहीं आने देता है तो आधी रात को आकर भंडारे में अनाज दान दे रहे हैं। कोई घर से भोजन बनाकर ला रहा है, कोई खिचड़ी खिला रहा है कोई चाय पिला रहे है। आंजना समाज ने तो साफ-साफ कह दिया आलू का एक भी बोरा मत खरीदना, जितना चाहिए हम देंगे। ऐसे हैं मेरे उज्जैन वाले। कोई कहता था तीर्थ स्थल के लोग दान-धर्म में पीछे रहते हैं, हमारा कहना है आइये अवंतिका नगरी में और देखिए मेरे उज्जैन वाले कैसे दिल खोल कर दान करते हैं।
पं. प्रदीप मिश्रा ने श्री विक्रमादित्य महाकाल राजा शिव महापुराण के चौथे दिन शुक्रवार को व्यास पीठ से उज्जैन वालों की सेवा भावना की खुलकर तारीफ की। उन्होंने कहा उज्जैन की एक-एक माता-बहन, बुजुर्ग-युवा, बच्चे बड़ी ही बेसब्री से उज्जैन में शिव महापुराण कथा का इंतजार कर रहे थे कि कब उज्जैन में कथा हो और वे इसमें सहभागी बनें। इस अवंतिका नगरी को साधुवाद है। इस नगरी के लोगों को साधुवाद देता हूं। आप से यही निवेदन है उज्जैन में रहने का मौका मिला है तो खूब भजन करो और अपनी भक्ति को प्रबल करो।
राजा भर्तृहरि को बहन ने दी सीख
पं. मिश्रा ने राजा भर्तृहरि के वृतांत पर कहा जब राजा दुखी थे तो बहन ने सीख दी कि इस धोखे पर आंसू मत बहाओ, धोखा मिले तो समझो भगवान ने तुम्हे भजन करने का मौका दिया है। तुम भी गुरू की शरण में जाओ, भजन करो और परमात्मा मेें चित्त लगाओ इसके बाद भर्तृहरि अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को राजपाट सौंपकर गुरू की तलाश में निकल गये। उनकी प्रबल भक्ति को देख महाकाल रूपी गुरू गोरखनाथ का उन्हें सान्निध्य मिला।
सनातन धर्म पुन: स्थापित किया विक्रमादित्य ने
पं. मिश्रा ने कहा राजा विक्रमादित्य के सिंहासन संभालने के पहले सनातन धर्म को लगभग विलुप्त कर दिया गया था। उन्होंने राजपाट संभालते ही अपने सलाहकारों से सबसे पहला सवाल यही किया कि सनातन धर्म को पुनस्र्थापित कैसे किया जाये। राजा विक्रमादित्य उसमें जुट गये। वेद-पुराण-ग्रंथों को बाहर निकाला गया, गुरुकुल स्थापित किये गये। राज्य में सोने की मुद्रायें चलती थी और सोने की चिडिय़ा का दौर शुरू हुआ।
अब सिर्फ महाकाल राजा
अंतिम समय में जब राजा विक्रमादित्य से उनकी पत्नी मंदाला ने पूछा कि आपके बाद यह राजपाट कौन संभालेगा तो विक्रमादित्य ने एक बिल्वपत्र उठाकर पत्नी को सौंपा की कि अब सिर्फ महादेव ही इस नगरी को संभालेंगे। उसके बाद अवंतिका में कोई और राजा नहीं बना। सिर्फ महाकाल राजा ही सबकुछ संभालते हैं और चलती भी सिर्फ उन्हीं की है।
ना महापौर-ना पार्षद संभाल रहे हैं व्यवस्था , करवाने वाले महाकाल
व्यास पीठ से पं. मिश्रा ने कहा कि जो यह समझता है कि ये शिवमहापुराण कथा की व्यवस्था महापौर करा रहे हैं या पार्षद करा रहे हैं। तो उन्हें साफ कह दूं कि पूरी व्यवस्था मेरे महाकाल करा रहे हैं। सिर्फ महाकाल ही हैं जिनका आंख-कान और पूरे चेहरे का श्रृंगार होता है और किसी ज्योतिर्लिंग मेें ऐसा नही होता। वो सब देख रहे हैं, सुन रहे हैं। यहां रहने वालों कितने किस्मतवाले हो तुम। कोई भी रत्तीभर अंहकार मत करना।
पं. मिश्रा ने मंच से कहा अहंकार में ताव देते हुए गेट पर मत आ जाना, नहीं तो भेरू आये और बोले महापौर जी, पार्षद जी मेरी पत्नी को वीआईपी में बैठा दो। अब बेचारा महापौर या पार्षद दूसरे की पत्नी को कैसे बैठाए। लेकिन गुरुजी ने व्यास पीठ से यह नहीं बताया कि बेचारे पार्षद, महापौर जी या समिति के सदस्यों कोअपनी खुद की पत्नी या रिश्तेदारों को कहां बैठाना चाहिए।
वीआईपी गेट पर पुलिस ने इवेंट कंपनी की कर्मचारी को पीटा
कथा के चौथे दिन शुक्रवार को वीआईपी गेट पर मौजूद पुलिस ने पं. मिश्रा का इवेंट कामकाज देख रही एक महिला कर्मचारी को पीट दिया। मुद्दा वही था वीआईपी। पुलिस अधिकारी अपने परिजनों को वीआईपी जोन में भेज रहे थे। इवेंट कंपनी के बाउंसर ने उन्हें ऐसा करने से रोका तो मामला मारपीट तक पहुंच गया। हालांकि इस मुद्दे पर किसी ने शिकायत नहीं की है।
हम आपको बता दें कि पं. मिश्रा के साथ आये इवेंट कंपनी के बाउंसर, स्थानीय समिति के पदाधिकारी और पुलिस विभाग में पहले दिन से ही वीआईपी प्रवेश को लेकर नोंक-झोंक चल रही है। सभी अपने-अपने लोगों को वीआईपी झोन से कथा सुनवाना चाहते हैं।
भर्तृहरि गुफा के गादीपति पीर योगी महंत श्री रामनाथ भी पधारे
उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध भर्तृहरि गुफा के गादीपति पीर योगी महंत श्री रामनाथ जी महाराज भी शुक्रवार को मंच पर आमंत्रित थे। पंडित प्रदीप मिश्रा ने महाराज का दुपट्टा, मोतियों व पुष्पों की माला पहनाकर अभिनंदन किया। मानस वक्ता महेश गुरुजी भी मंच पर मौजूद थे।