कपिला गौशाला से लौटकर अर्जुन सिंह चंदेल यत्र गाव: प्रसन्ना: स्यु: प्रसन्नास्तत्र सम्पद:। यत्र गावो विषण्णा: स्युर्विषण्णास्तत्र सम्पदा:।। अर्थ- जहाँ गाय प्रसन्न रहती है वहाँ सभी सम्पत्तियाँ प्रसन्न रहती है। जहाँ गायें दु:ख पाती हैं, वहाँ सारी सम्पदायें दु:खी हो जाती है। उज्जैन, अग्निपथ। शहर से 12 किलोमीटर दूर ग्राम […]